Nag Panchami Puja: श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि हिंदी पंचांग के अनुसार नागों की पूजा के लिए समर्पित है। इसे श्रावण मास में नाग पंचमी 25 जुलाई 2020 शनिवार को मनाया जाएगा। शुक्ल पक्ष की पंचमी को उत्तर भारत में नाग पंचमी मनाई जाती है। वहीं दक्षिण में ऐसा ही एक पर कृष्ण पक्ष की पंचमी के दिन होता है। इस दिन नाग पंचमी (Nag Panchami) में नागों के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस दिन शिव (Shiv) मंदिरों में और नाग पंचमी के मंदिर में पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इसकी विधि के बारे में।
नाग पंचमी का मुहूर्त
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का मुहूर्त एक दिन पहले ही शुभारंभ हो गया था। 24 जुलाई 2020 दोपहर शुक्रवार शुक्रवार दोपहर 2 बजकर 34 मिनट पर श्रवण माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी का शुभारंभ हो गया था। यह सुबह 25 जुलाई दोपहर 12 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। इस बीच में आप शिव मंदिरों या नाग पंचमी के मंदिरों (Temple) में जाकर अपनी आराधना कर सकते हैं। शिव मंदिर भोलेनाथ की पूजा के साथ उनका जलाभिषेक भी कर सकते है।
क्यों होती है नाग पूजा
सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी नाग देवता को समझ समर्पित की जाती है। इस वजह से ही इसको नाग पंचमी की पूजा कहा जाता है। कहा यह जाता है कि सावन माह भगवान शिव शंकर (Lord shiv Shankar) की का सबसे प्रिय माह माना जाता है। उन्होंने अपने गले में अपने सबसे परम भक्त वासुकी को धारण किया हुआ है। वासुकी को नागों का राजा कहा जाता है। नाग नाग पंचमी के दिन शेषनाग के साथ वासुकी भी की पूजा की जाती है। पोराणिक कथाओं के अनुसार कहा यह कहा जाता है। वासुकी ने भीम को 10000 हाथियों का बल का वरदान दिया था।
जाने क्या है पूजा की विधि
गरुड़ पुराण में यह बताया जाता है कि इस दिन नाग पंचमी की पूजा करने वाले इंसान को व्रत रखना चाहिए और मिट्टी का नाग बनाकर उसको रंग से भरना चाहिए। इसके बाद अक्षत, फूल, पुस्प तथा नारियल अर्पित कर उसकी पूजा करनी चाहिए। नाग पंचमी की पूजा के प्रसाद के रूप में भुने हुए जों तथा चने वितरित किए जाते हैं। हमारे धार्मिक ग्रंथों में नाग पंचमी की बहुत ही अधिक धार्मिक धारणाएं हैं। भारत उत्तर भारत के लोग इस दिन को खूब उल्लाहस के साथ मनाते हैं।
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